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Thursday, 19 May 2011

शिक्षा के अधिकार अधिनियम की विशेषताएं

बच्चों के लिए मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करने के उद्द्येश्य से शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ लाया गया। इस अधिनियम की मुख्या विशेषताएं निम्नवत हैं-


  • देश के ६-१४ वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करना।

  • प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने से पूर्व किसी भी बच्चे को रोका या निकाला नहीं जायेगा।

  • ऐसा बच्चा जिसकी उम्र ६ वर्ष से ज्यादा है और किसी भी विद्यालय में दाखिल नहीं है अथवा है भी तो अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाया/पायी, तो उसे उसकी उम्र के लायक उचित कक्षा में प्रवेश दिया जायेगा। इस हेतु सीधे तौर से प्रवेश लेने वाले बच्चों के समकक्ष आने के लिए उसे प्रस्तावित समय सीमा के भीतर विशेष ट्रेनिंग दी जानी होगी जो प्रस्तावित हो। प्राथमिक शिक्षा हेतु प्रवेश लेने वाले बच्चे को १४ वर्ष की उम्र के बाद भी प्राथमिक शिक्षा पूर्ण होने तक मुफ्त शिक्षा प्रदान की जायेगी।

  • प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश के लिए बच्चे के उम्र का निर्धारण उसके जन्म प्रमाणपत्र या किसी अन्य कागजात के आधार पर किया जाएगा जो उसे जारी किया गया हो। उम्र प्रमाणपत्र नहीं होने पर भी किसी बच्चे को विद्यालय में प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।

  • प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने वाले छात्र को एक प्रमाणपत्र दिया जायेगा।

  • विद्यालयों में एक निश्चित शिक्षक-छात्र अनुपात रहेगा।

  • शिक्षा की गुणवत्ता में आवश्यक सुधार किया जायेगा।

  • आर्थिक रूप से कमजोर समुदाय के बच्चों के निजी विद्यालयों में कक्षा १ में प्रवेश हेतु २५% का आरक्षण प्रदान किया जायेगा।

  • विद्यालय का बुनियादी ढांचा यदि समस्याग्रस्त हो तो उसे तीन वर्षों के भीतर सुधार लिया जायेगा अन्यथा उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

  • इस सन्दर्भ में वित्तीय बोझ केंद्र तथा राज्य सरकार के मध्य साझा किया जायेगा।

  • जम्मू-कश्मीर को छोड़कर इसे सम्पूर्ण देश में लागू किया जायेगा।

Tuesday, 3 May 2011

शिक्षा का अधिकार

शिक्षा का अधिकार सबके लिए। परन्तु सवाल यह है कि इस अधिकार से किसी को वंचित कौन कर रहा है ? इसका जवाब इस नारा में है - "जन्म दिया तो शिक्षा दो "। जाहिर है जो अभिभावक विद्यालय जाने योग्य अपने बच्चों का नामांकन विद्यालय में नहीं कराते या नामांकन कराने के बाद भी बच्चों को नियमित विद्यालय नहीं भेजकर किसी दूसरे कार्यों में लगाते हैं, वे ही वास्तव में अपने बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन कर रहे हैं। "शिक्षा का अधिकार कानून" में ऐसे ही अभिभावकों के लिए कुछ प्रावधान होने चाहिए।
सरकारी विद्यालयों में पढने वाले अधिकांश बच्चे वैसे परिवार से आते हैं जो किसी न किसी प्रकार का सरकारी लाभ या अनुदान प्राप्त करते हैं। कानून में यह प्रवधान होना चाहिए कि इस प्रकार का लाभ प्राप्त करने के लिए उनके बच्चों का विद्यालय में ८० प्रतिसत उपस्थिति अनिवार्य हो।