शिक्षा का अधिकार सबके लिए। परन्तु सवाल यह है कि इस अधिकार से किसी को वंचित कौन कर रहा है ? इसका जवाब इस नारा में है - "जन्म दिया तो शिक्षा दो "। जाहिर है जो अभिभावक विद्यालय जाने योग्य अपने बच्चों का नामांकन विद्यालय में नहीं कराते या नामांकन कराने के बाद भी बच्चों को नियमित विद्यालय नहीं भेजकर किसी दूसरे कार्यों में लगाते हैं, वे ही वास्तव में अपने बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन कर रहे हैं। "शिक्षा का अधिकार कानून" में ऐसे ही अभिभावकों के लिए कुछ प्रावधान होने चाहिए।
सरकारी विद्यालयों में पढने वाले अधिकांश बच्चे वैसे परिवार से आते हैं जो किसी न किसी प्रकार का सरकारी लाभ या अनुदान प्राप्त करते हैं। कानून में यह प्रवधान होना चाहिए कि इस प्रकार का लाभ प्राप्त करने के लिए उनके बच्चों का विद्यालय में ८० प्रतिसत उपस्थिति अनिवार्य हो।
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