सर्व शिक्षा,शिक्षक कल्याण एवं राष्ट्र निर्माण की अवधारणा से युक्त 'अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ' के इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है|

Tuesday, 15 November 2011

२६ नवम्बर को सी एम् घेराव की निर्णायक तैयारी

१७ सितम्बर को संघ के प्रतिनिधियों को सी ऍम द्वरा दिया गया आश्वासन अभी तक विभागीय पत्र का रूप नहीं ले सका है। झारखण्ड के शिक्षकों के साथ किये गए इस वादा खिलाफी से जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। सी ऍम ने १५ दिनों का समय लिया था हमने पुरे दो महीने का समय दिया। निदेशक महोदय ने इस बीच दो बार काम आगे बढ़ने की बात कही लेकिन एक भी मांग पर आज तक पत्र नहीं निकला जो दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस राज्य में मुख्यमंत्री का वचन खली जाये वहां शिक्षकों को चाणक्य की भूमिका निभानी होगी और शासन को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाना होगा। इसलिए आवश्यक है की २६ नवम्बर को विशाल शिक्षक समूह सी ऍम आवश पर पहुंचे। इस बार बात नहीं बननेपर उशी दिन शाम से अनिशित्कालिन अनशन शुरू हो जायेगा। राज्य गठन के बाद पहली बार शिक्षक इस प्रकार के अनशन पर बैठेंगे जो सरकार के लिए कतई गौरव की बात नहीं होगी। हमने सरकार के कहने पर भरपूर समय दिया लेकिन फिर भी आन्दोलन की गंभीरता को नहीं समझ सकी सरकार तो पुरे आन्दोलन के लिए वध्य करने की जिम्मेवारी सरकार की होगी। आइये अपनी मजबूत इक्षाशक्ति का एहसास करा दें इस सरकार को। सफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजुआ कातिल में है। जय झारखण्ड।

Tuesday, 20 September 2011

24 सितम्बर का कार्यक्रम फिलहाल टला



( दैनिक हिन्दुस्तान में छपी हुई खबर)

Monday, 25 July 2011

श्रावणी रंग में रंगे अजप्टा प्रतिनिधि





अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों का देवघर पूजनोपरांत बोकारो वापसी के दौरान जामतारा में लिए गए फोटो। फोटो को पूर्ण पृष्ठ आकार में देखने के लिए उसपर क्लिक करें।

Friday, 3 June 2011

Thursday, 19 May 2011

शिक्षा के अधिकार अधिनियम की विशेषताएं

बच्चों के लिए मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करने के उद्द्येश्य से शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ लाया गया। इस अधिनियम की मुख्या विशेषताएं निम्नवत हैं-


  • देश के ६-१४ वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करना।

  • प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने से पूर्व किसी भी बच्चे को रोका या निकाला नहीं जायेगा।

  • ऐसा बच्चा जिसकी उम्र ६ वर्ष से ज्यादा है और किसी भी विद्यालय में दाखिल नहीं है अथवा है भी तो अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाया/पायी, तो उसे उसकी उम्र के लायक उचित कक्षा में प्रवेश दिया जायेगा। इस हेतु सीधे तौर से प्रवेश लेने वाले बच्चों के समकक्ष आने के लिए उसे प्रस्तावित समय सीमा के भीतर विशेष ट्रेनिंग दी जानी होगी जो प्रस्तावित हो। प्राथमिक शिक्षा हेतु प्रवेश लेने वाले बच्चे को १४ वर्ष की उम्र के बाद भी प्राथमिक शिक्षा पूर्ण होने तक मुफ्त शिक्षा प्रदान की जायेगी।

  • प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश के लिए बच्चे के उम्र का निर्धारण उसके जन्म प्रमाणपत्र या किसी अन्य कागजात के आधार पर किया जाएगा जो उसे जारी किया गया हो। उम्र प्रमाणपत्र नहीं होने पर भी किसी बच्चे को विद्यालय में प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।

  • प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने वाले छात्र को एक प्रमाणपत्र दिया जायेगा।

  • विद्यालयों में एक निश्चित शिक्षक-छात्र अनुपात रहेगा।

  • शिक्षा की गुणवत्ता में आवश्यक सुधार किया जायेगा।

  • आर्थिक रूप से कमजोर समुदाय के बच्चों के निजी विद्यालयों में कक्षा १ में प्रवेश हेतु २५% का आरक्षण प्रदान किया जायेगा।

  • विद्यालय का बुनियादी ढांचा यदि समस्याग्रस्त हो तो उसे तीन वर्षों के भीतर सुधार लिया जायेगा अन्यथा उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।

  • इस सन्दर्भ में वित्तीय बोझ केंद्र तथा राज्य सरकार के मध्य साझा किया जायेगा।

  • जम्मू-कश्मीर को छोड़कर इसे सम्पूर्ण देश में लागू किया जायेगा।

Tuesday, 3 May 2011

शिक्षा का अधिकार

शिक्षा का अधिकार सबके लिए। परन्तु सवाल यह है कि इस अधिकार से किसी को वंचित कौन कर रहा है ? इसका जवाब इस नारा में है - "जन्म दिया तो शिक्षा दो "। जाहिर है जो अभिभावक विद्यालय जाने योग्य अपने बच्चों का नामांकन विद्यालय में नहीं कराते या नामांकन कराने के बाद भी बच्चों को नियमित विद्यालय नहीं भेजकर किसी दूसरे कार्यों में लगाते हैं, वे ही वास्तव में अपने बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन कर रहे हैं। "शिक्षा का अधिकार कानून" में ऐसे ही अभिभावकों के लिए कुछ प्रावधान होने चाहिए।
सरकारी विद्यालयों में पढने वाले अधिकांश बच्चे वैसे परिवार से आते हैं जो किसी न किसी प्रकार का सरकारी लाभ या अनुदान प्राप्त करते हैं। कानून में यह प्रवधान होना चाहिए कि इस प्रकार का लाभ प्राप्त करने के लिए उनके बच्चों का विद्यालय में ८० प्रतिसत उपस्थिति अनिवार्य हो।






Monday, 18 April 2011

self education

A child learns itself. A teacher is only a helper. You can not teach a child anymore than you can grow a plant. The plant develops according to its own nature. The child also teaches itself. But you can help it to go forward in its own way. What you can do is not of positive nature but negative. You can take away the obstacles and knowledge comes out of its own nature. Loosen the soil a little so that it may come out easily and is not killed by anything .You can supply the growing seed with materials for the making up of its body bringing it the earth , the water ,the ait that it wants .And there your work stops.

Sunday, 17 April 2011

क्या हम सचमुच संगठित हैं ?

आज १७.०४.११ को बोकारो के शिक्षक श्री रामोदय प्रसाद सिंह का आकस्मिक निधन हो गया। पहले भी जमशेदपुर से हमारे मित्र राजा और कुछ साथी हमें छोड़कर जा चुके हैं। अपने ऐसे मित्रों के जाने के बाद हम में से कितने लोग उनके बच्चों और परिवार को देखने या उनका हाल चाल पूछने उनके घर गए हैं? सुख के समय हम सभी पारिवारिक रूप से एक दुसरे के घर जाते हैं, अच्छे बुरे वक्त में काम आने की बातें करते हैं, लेकिन हम सभी अपने दिल पर हाथ रखकर सोंचें कि हम इसे कितना निभा रहे हैं? शिक्षक एकता जिन्दावाद के नारे लगाने वाले हमलोग क्या एकत्रित हैं? यदि हाँ तो अपने दिवंगत मित्रों के बच्चों के प्रति हमारी सम्बेदना क्या है? पीड़ित परिवार को साहस देने में हमने क्या सहयोग दिया है? ये सभी बातें ठंढे दिमाग से सोचने कि हैं। इन्ही सब बातों को सोंच कर शिक्षक कल्याण कोस को आप सबों के बीच लाया गया है। कृपया संघ के वेबसाइट पर जाकर इसे पढ़ें और समझकर इससे जुड़ें। बुरे वक्त में अपने मित्रों के आश्रितों को हिम्मत देने के बाद ही सही मायने में हम आपको एक शिक्षक परिवार कह सकते हैं। हमें आशा है कि हम सभी इस ओर सकारात्मक सोंच के साथ आगे बढ़ेंगे।

Thursday, 17 February 2011

विपरीत परिष्टितियो में कैसे सफल होगा राइट टू एजुकेशन

राज्य में प्राथमिक शिक्षक सिस्टम की खामियों से जूझते हुए राइट टू एजुकेशन की सफलता की कामना कर रहे हैं। लगभग १००००० शिक्षकों की कमी क्र वाबजूद , विद्यालयों में मुलभुत सुबिधाओं के अभाव में भी हम सैट प्रतिशत नामांकन एवं ठहराव तथा क्वालिटी एजुकेशनन देने के लिए प्रयत्नशील हैं। मध्याहन भोजन एवं भवन निर्माण ने पुरे शिक्षा विभाग की क्षवी को धूमिल किया है । राज्य में शिक्षको को समय पर वेतन भी नहीं मिलता है, यदि हम नहीं मांगे तो प्रोनात्ति भी शायद नहीं मिलेगी। सरकार को चाहिए की सेवानिवृति उम्र सीमा बढा कर ६५ वर्ष करे ताकि शिक्षको के वर्तमान संख्या में कमी न हो। हर माह के पाँच तारीख तक वेतन भुगतान की गारंटी होनी चाहिए। संघ ग्रेड १ सहित सभी बिन्दुवो पर प्रयास जरी रखेगा।

इसके बाबजूद भी हमें अपने सर्वोच्च उर्जा का प्रयोग करते हुवे विद्यालयों में पठान पाठन की दशा में सुधार लाते हुवे अपने सामाजिक व सरकारी दायित्वों का निर्वाह करते हुवे अपने बारे में किये जा रहे दुष्प्रचारो का करारा जवाब देना चाहिए ।

Tuesday, 15 February 2011

THANKS

THANKS

SABHI KO MERA NAMASKAR

Sunday, 13 February 2011

शिक्षक या झारखण्ड सरकार के रिजर्व कर्मचारी

एक दिन मुझसे एक व्यक्ति ने सफ़र के दौरान पूछा- "आप क्या करते हैं?" मेरे मुख से अनायास ही निकल गया - "मैं झारखण्ड सरकार का रिजर्व कर्मचारी हूँ।" झारखण्ड राज्य के शिक्षकों के लिए यह शायद विल्कुल ही सत्य है। यहाँ शिक्षकों को विद्यालय में इस प्रकार से रखा जाता है जैसे वे माध्यम मात्र हों सरकार के लिए किये जाने वाले अन्य कार्यों हेतु । प्रखंड कार्यालय में कर्मी की कमी हो तो शिक्षक को प्रतिनियोजित कर दिया जाता है। भवन निर्माण करना हो तो शिक्षक को कार्यभार प्रदान कर दिया जाता है। इस कार्य के लिए बाल मनोविज्ञान तथा अध्यापन अधिगम उपागम के प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को जाने क्या सोचकर भवन निर्माण कार्य में लगा दिया जाता है जबकि इस सुकार्य के लिए सरकार के पास बकायदा विभाग उपलब्ध है।
सरकार का जोर विद्यालयों में शिक्षण से ज्यादा मध्याह्न भोजन पर दिखता है। शिक्षकों को मध्याह्न भोजन कीगुणवत्ता के साथ साथ खर्चों के हिसाब-किताब रखने की भी जिम्मेदारी दे दी गयी है। यह कैसा अंधेर है पैसा किसी और के खाते में आये, खर्च कोई करे और हिसाब कोई रखे। अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ के रांची सेमिनार में माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री, झारखण्ड सरकार की शिक्षकों को मध्याह्न भोजन से दूर रखे जाने की घोषणा निश्चय ही स्वागतयोग्य है, परन्तु इस पर जितनी जल्दी अमल किया जाता, झारखण्ड में शिक्षा के हित में यह उतना ही अच्छा होता।
मैं यह सोचता हूँ कि काश! शिक्षक को शिक्षक ही रहने दिया जाता न कि सरकार का रिजर्व कर्मचारी

Monday, 7 February 2011

स्वागतम

अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ के इस ब्लॉग निर्माण का उद्देश्य धीरे -धीरे प्राप्त होता दिख रहा है। इस ब्लॉग का हिट काउंटर तथा ब्लॉग पर दिए गए संदेशों से यह प्रतीत होता है कि शिक्षक बंधुओं का लगातार आगमन इस ब्लॉग पर हो रहा है। मैं प्रमोद कुमार इस ब्लॉग के व्यवस्थापक के रूप में आपका स्वागत करता हूँ। इस ब्लॉग के निर्माण का मेरा उद्देश्य है अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षक बंधुओं को जोड़ना, आपसी विचारों का आदान-प्रदान, विभिन्न जिलों के कमिटी द्वारा किये जा रहे कार्यों से सबों को परिचित कराना इत्यादि। अतः इस ब्लॉग पर आने वाले शिक्षक बंधुओं से मेरा आग्रह है कि अपना email जो gmail.com पर बना हुआ हो मेरे इमेल पते pkumar8791@gmail.com पर अपने नाम, परिचय तथा जिले के नाम के साथ भेजें जिससे आपको इस ब्लॉगके माध्यम से अपने विचारों को रखने का अधिकार प्रदान किया जा सके

Sunday, 6 February 2011

तिलक जी आप को बहुत -बहुत धन्वाद साथ -साथ ajpta की पूरी टीम को भी धन्वाद जिसने इतना सुन्दर सोच के साथ काम किया
नीरज मिश्रा ,धनबाद

Friday, 4 February 2011

राजा स्मृति शिक्षक कल्याण कोष का गठन

अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ के दो दिवसीय सेमिनार की एक अति मघ्त्वपूर्ण उपलब्धि जमशेदपुर के शिक्षक स्व० श्री एम ० राम ० प्रसाद (raja) की स्मृती में शिक्षक कल्याण कोष का गठन रही । इस नेक कार्य हेतु संघ के सभी प्रतिनिधि बधाई के पात्र हैं । झारखण्ड राज्य के गठन के बाद शिक्षको के हित में सोचने वाला यह प्रथम संघ हैं । कार्यशाला के माध्यम से संघ ने यह सन्देश दे दिया है की राज्य की शिक्षा प्रणाली को सही दिशा में अग्रसर करने के लिए वो संकल्पित है। शिक्षक मित्रों को शिक्षा जगत की नवीनतम सूचनाओं से अवगत करने के लिए वेबसाइट का जारी किया जाना सुचना प्रोदोय्गिकी के क्रन्तिकारी युग के साथ कदम मिलने की ओर एक कदम है। इस वेबसाइट को प्रासंगिक बनाने में आपका सहयोग अपेक्षित है।
धन्यवाद
रजनी कान्त तिलक , स० शि० , सिमडेगा

Monday, 31 January 2011

इस ब्लॉग से जुड़ें

अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ के इस ब्लॉग पर आने वाले मित्रों का मैं स्वागत करता हूँ। मैंने इस ब्लॉग का निर्माण यह सोच कर किया है कि संघ से जुड़े शिक्षकगण अपने विचारों को ब्लॉग के माध्यम से सामने रखें। अपने जिले में संघ के क्रियाकलापों से अन्य लोगों को परिचित कराएँ। अतएव हमारे शिक्षक बंधुओं से अनुरोध है कि अपना ई-मेल आईडी जो जीमेल पर बना हो मेरे ई-मेल पते पर अपने परिचय के साथ भेजें ताकि उन्हें इस ब्लॉग पर लिखने का अधिकार प्रदान किया जा सके।

Tuesday, 25 January 2011

अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ का वेब साईट तैयार

अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ का वेब साईट http://www.ajpta.org/ सिमडेगा जिले के एक शिक्षक श्री रजनीकांत तिलक के द्वारा तैयार किया गया है । इस वेब साईट पर कई प्रकार की सूचनाएं प्रस्तुत की गयी है। अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ के नवीन सूचना प्रौद्योगिकी के साथ कदम मिलाकर गतिशील होने की राह में यह एक मील का पत्थर है। इस सुकार्य के लिए तिलक जी कोटि कोटि धन्यवाद के पात्र हैं।